World conference on disaster management started
देहरादून। World conference on disaster management started आपदा प्रबंधन पर विश्व स्तर के सबसे बड़े सम्मेलनों में से एक 6वाँ विश्व आपदा प्रबंधन देहरादून के ग्राफिक एरा (डीम्ड यूनिवर्सिटी) में शुरू हो चुका है। इस चार दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने “आपदा प्रबंधन पर विश्व सम्मेलन“ में भाग ले रहे सभी अतिथियों, रिसर्च स्कॉलर, प्रैक्टिशनर एवं वैज्ञानिकों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के 50 से अधिक देशों से आए हुए मेहमानों का उत्तराखंड में स्वागत है।
उन्होंने कहा इस सम्मेलन में आपदा प्रबंधन विषय पर विस्तृत चिंतन- मंथन होगा और देहरादून डिक्लेरेशन भी जारी किया जाएगा जिससे उम्मीद है की आपदा प्रबंधन पर बहुत सारी चीजें निकल कर सामने आएँगी और हम उस पर भविष्य में अमल भी करेंगे एवं यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज भी होगा।
LIVE: 6th विश्व आपदा प्रबन्धन सम्मेलन के शुभारम्भ समारोह में प्रतिभाग
https://t.co/nM6aYngOCQ— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 28, 2023
मुख्यमंत्री ने उत्तरकाशी के टनल में फंसे लोगों को बचाने के लिए किया जा रहा प्रयास के बारे में भी लोगों को अवगत कराया और उन्होंने कहा राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग से लोगों को जल्द से जल्द बाहर निकलने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। टनल के अंदर फंसे हुए लोगों तक समय-समय पर ऑक्सीजन, दवाई, खाना एवं उनके जरूरत के सभी सामानों को मुहैया करा जा रहा है ताकि वे अंदर स्वस्थ और सुरक्षित रहें।
सम्मेलन के संदर्भ में बात करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने कहा कि मानव जाति एवं प्रकृति का संबंध हमेशा से रहा है और यह देवभूमि साक्षी है कि हमारे यहां पहाड़ों पर आपदाओं का भीषण सामना होता रहा है! इस पृष्ठभूमि को देखते हुए उत्तराखंड इस सम्मेलन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है।
हमारे यहां पर समय-समय पर लैंडस्लाइड, अतिवृष्टि, अधिक बर्फ गिरना इस तरह की आपदा होती रही हैं। हम प्रोएक्टिव अप्रोच के साथ आपदा को पहले से पहचान कर उसके प्रभावों को कम करने में सफल रहे हैं एवं मोदी जी के मार्गदर्शन में हमने पहाड़ों में हेल्थ, हेली सेवा एवं अन्य आवश्यक सुविधाओं का निर्माण किया है ताकि कम से कम लोग आपदाओं में प्रभावित हो।
भविष्य के लिए चिंतन मंथन कर सचेत और सावधान रहें : CM Dhami
उन्होंने कहा आपदा को हम रोक नहीं सकते परंतु टेक्नोलॉजी और सिस्टम के माध्यम से इसके प्रभाव को पहले पहचान कर कम जरुर कर सकते हैं। माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा की हम आपदा प्रबंधन को उत्तराखंड के पाठ्यक्रम में भी शामिल करने के लिए प्रयासरत हैं ताकि उत्तराखंड के छात्र-छात्राओं को आपदा के बारे में अधिक से अधिक जानकारी मिल सके और भविष्य के लिए चिंतन मंथन कर सचेत और सावधान रहें।
मुख्यमंत्री जी ने जी-20 सम्मेलन का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तराखंड को जी20 सम्मेलन के तीन सम्मेलनों को आयोजित करने का अवसर मिला था और इसके माध्यम से हमने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेहमानों के समक्ष उत्तराखंड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। उन्होंने 8 से 9 दिसंबर 2023 को देहरादून में आयोजित होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के बारे में भी बात की|
उन्होंने कहा कि सम्मेलन से पहले ही हम 2 लाख करोड़ का करार कर चुके हैं और जब यह सम्मेलन संपन्न होगा तब तक हम और आगे बढ़ चुके होंगे। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुभवों पर आधारित पुस्तक “रेजिलिएंट इंडियाः कैसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का आपदा प्रबंधन मॉडल बदला“ का विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रंजीत कुमार सिन्हा, सेक्रेट्री, उत्तराखंड डिजास्टर मैनेजमेंट ने आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया, उन्होंने कहा कि पृथ्वी को बचाने के लिए हम सबको एक साथ मिलकर आगे आना होगा। उन्होंने कहा हमारे युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हम आज आपदा प्रबंधन पर चिंतन मंथन कर रहे हैं जिसका निष्कर्ष हमें बहुत ही अच्छा मिलने वाला है।
पर्यावरणविद् पद्म भूषण अनिल प्रकाश जोशी, ने अपने संबोधन में कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कांग्रेस है जो यहां आयोजित किया जा रहा है, हम सिटी को और स्मार्ट से स्मार्ट बनने जा रहे हैं परंतु हमारा देश डिजास्टर के मामले में भी आगे बढ़ते जा रहा है, हम चाहते हैं कि डिजास्टर फ्री डेवलपमेंट की बात की जाए जहां पर डेवलपमेंट तो हो परंतु डिजास्टर के जो संभावना है वह बिल्कुल न्यूनतम हो।
उन्होंने उत्तरकाशी टनल हादसे की बात करते हुए कहा कि आज के इस दौड़ में हमारे पास इतनी सारी टेक्नोलॉजी और सिस्टम उपस्थित है परंतु हम बिल्कुल हेल्पलेस महसूस कर रहे हैं। हमारे साइंटिस्ट और सिस्टम को रिव्यू करने की जरूरत है कि इस तरह के हादसे को कैसे कम किया जा सके। डॉक्टर डी महंतेश, फाउंडर समर्थनम इंटरनेशनल बेंगलुरु, ने अपने संबोधन में कहा कि आपदा सबसे अधिक लोगों में डिसेबिलिटी लाती है और इसका प्रभाव ज्यादातर महिलाओं एवं बच्चों के ऊपर पड़ता है। उन्होंने कहा डिसएबल लोगों के लिए हमारी संस्था समर्थन इंटरनेशनल काम करती है, हमने उत्तराखंड में भी कोरोना महामारी के दौरान काम किया है और आपदाओं के समय पर हम उत्तराखंड के लोगों के लिए हमेशा साथ खड़े रहते हैं।
हम इस सम्मेलन के माध्यम से इस पर विचार विमर्श करेंगे : Radha Raturi
राधा रतूड़ी, एडिशनल चीफ सेक्रेट्री उत्तराखंड सरकार, ने अपने संबोधन में कहा कि आपदा के समय सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले महिलाएं एवं बच्चे होते हैं। हमें उम्मीद है कि हम इस सम्मेलन के माध्यम से इस पर विचार विमर्श करेंगे एवं इसके लिए ठोस निष्कर्ष निकलेंगे। एस एस संधू, चीफ सेक्रेटरी, उत्तराखंड सरकार, ने अपने संबोधन के माध्यम से विभिन्न देशों से आए हुए लोगों का स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि हर वक्त डेवलपमेंट प्रोजेक्ट डिजास्टर नहीं लाता है परंतु हमें कुछ ऐसे ट्रीटमेंट की व्यवस्था करनी चाहिए जो की डिजास्टर को नियंत्रित कर सके। उन्होंने कहा हमें डेवलपमेंट को नेचुरल बैलेंस के साथ सम्मिलित कर आगे बढ़ना चाहिए।
शोम्बी शार्प, यू एन, रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर, ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड सरकार के तरफ से डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर बहुत ही गंभीर कदम उठाए जा रहे हैं! आपदा “मैन मेड और नेचुरल” दोनों तरह से होती है जैसे प्राकृतिक आपदा बाढ़, भूकंप, लैंडस्लाइड, सुनामी के रूप में आती है वही मैन मेड दो देशों के बीच में हुए युद्ध के रूप में आती है।
उन्होंने कहा यूनाइटेड नेशन आर्गेनाईजेशन भारत को हर संभव मदद करने के लिए तत्पर रहता है। उन्होंने कहा कि आपदा से लोगों के साथ-साथ कृषि भूमि एवं अन्य आवश्यक संसाधनों पर भी असर पड़ता है, हम देख सकते हैं कि दुनिया भर के 125 देश के पास डिजास्टर पॉलिसी सिस्टम है परंतु यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा भारत अर्ली वार्निंग सिस्टम में काफी कुछ कर चुका है और अब भारत में कोई भी डिजास्टर आने वाला होता है तो उसे 24 घंटे पहले ही सूचना मिल जाती है जिसे जान माल का नुकसान कम करने और लोगों को संभलने के लिए वक्त मिल जाता है।
उद्घाटन समारोह के अंत में ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय समूह के अध्यक्ष प्रो. डॉक्टर कमल घनशाला द्वारा उपस्थित सभी मेहमानों को धन्यवाद ज्ञापन दिया गया उन्होंने कहा कि यह ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है कि आज हम मोदी के अनुभव पर आधारित पुस्तक का विमोचन कर रहे हैं। यह चार दिवसीय सम्मेलन हमारे आपदा प्रबंधन सिस्टम को समझने के लिए काफी महत्वपूर्ण है और इसके निष्कर्ष से हमें काफी कुछ सीखने को मिलेगा।
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