Worse condition of health services in Uttarakhand
देहरादून। Worse condition of health services in Uttarakhand उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं पर हमेशा सवाल खड़े होते रहे हैं। लेकिन अब एनएचएम (नेशनल हेल्थ मिशन) की एक रिपोर्ट में भी इस बात का न केवल खुलासा हुआ है बल्कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों का जिन मानदंडों के आधार आंकलन किया गया उनमें स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों का परिचालन, एनएचएम कार्यक्रम के तहत आने वाले जिलों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का प्रावधान और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की ग्रेडिंग आदि शामिल हैं।
पर्वतीय राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड पर शर्त पूरा न करने को लेकर जुर्माना लगाया गया है। राजधानी देहरादून में कभी एंबुलेंस में डिलीवरी,अस्पतालों में डॉक्टरों की तैनाती और मरीजों को दवाई के लिए दर-दर भटकना और न जाने ऐसे कितने कारण हैं।
जिनको लेकर राज्य का स्वास्थ्य महकमा हमेशा से सवालों के घेरे में रहा ह। एनएचएम द्वारा लगाए गए दंड का मामला इसलिए भी गंभीर हो जाता है| क्योंकि स्वास्थ्य महकमा खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत संभाल रहे हैं।
स्वास्थ्य की सबसे बड़ी संस्था ने नकार दिया
मुख्यमंत्री बनने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत भले ही यह दावा करते रहे हों कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान न केवल डॉक्टरों को पहाड़ों पर चढ़ाया है, बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई कीर्तिमान हासिल किए हैं।
लेकिन सरकार के कार्यों और दावों को केंद्र सरकार की ही स्वास्थ्य की सबसे बड़ी संस्था ने नकार दिया है। उत्तराखंड राज्य का एनएचएम की रिपोर्ट में खराब प्रदर्शन आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी ऐसे राज्यों को नसीहत दी है।
साथ ही साथ एनएचएम के तहत जो धनराशि राज्यों को मिलती थी वह भी नहीं दी जाएगी। जिससे राज्य स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ा झटका लगा है।
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