भाजपा के वरिष्ट नेता यशवंत सिन्हा ने पार्टी छोड़ी

Yashwant Sinha
भाजपा के वरिष्ट नेता Yashwant Sinha ने पार्टी छोड़ी

पटना। चार साल से भाजपा से नाराज चल रहे सीनियर नेता और पूर्व वित्त मंत्री Yashwant Sinha ने शनिवार को यहां राष्ट्र मंच के अधिवेशन में पार्टी छोड़ने का ऐलान किया। उन्होंने बताया कि मैं पार्टी और चुनावी राजनीति से संन्यास ले रहा हूं। साथ ही भाजपा से सभी तरह के संबंध तोड़ रहा हूं। आज लोकतंत्र खतरे में है।

इस अधिवेशन में भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के अलावा कांग्रेस, आरजेडी के नेता मौजूद थे। बता दें कि 80 साल के यशवंत सिन्हा मोदी सरकार के जीएसटी और नोटबंदी जैसे फैसलों का विरोध कर चुके हैं। यशवंत सिन्हा ने कहा कि मैं यहां चुनाव लड़ने वाला नहीं हूं। वैसे भी आप सब जानते हैं कि यहां से 4 साल पहले मैंने चुनावी राजनीति से संन्यास ले लिया था। मैंने मना कर दिया था कि 2014 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ूंगा, तो मेरे मन में यही बात थी अब चुनावी राजनीति में भाग नहीं लूंगा।

कुछ लोगों ने समझा कि चूंकि मैंने चुनावी राजनीति से अपने को अलग कर लिया है तो शायद मेरे दिल की धड़कन भी बंद हो गई। मेरी धड़कन बंद नहीं हुई है, आज भी ये दिल देश के लिए धड़कता है। इसलिए जब कभी देश का सवाल आएगा तो मैं पीछे नहीं रहूंगा, आगे बढ़चढ़ कर उसमें भाग लूंगा, क्योंकि देश का सवाल है। यशवंत सिन्हा ने कहा कि अगर मैं आपके सामने खड़ा हूं तो इसीलिए खड़ा हूं कि जो देश की परिस्थिति आज के दिन है, उस पर आपको और हमको मिलकर विचार करना है। हमारे कितने सारे साथी यहां हैं। हम सब मिलकर एक मंच बना रहे हैं, जिसका नाम है राष्ट्रमंच।

आज प्रजातंत्र खतरे में है : Yashwant Sinha

हम लोगों ने कहा कि ये राजनीतिक दल नहीं है। ना हमारा इरादा है कि हम आगे इसे राजनीतिक दल बनाएं। लेकिन, देश की परिस्थिति को देखते हुए कुछ चिंता के विषय हैं, जिसके बारे में अगर हम आज चुप रह जाते हैं तो आने वाली पीढ़ियां हमें दोष देंगी कि आप चुप क्यों रह गए। राष्ट्रमंच का निर्माण इसीलिए कहा। दोस्तों… जानबूझकर मित्रों नहीं कह रहा हूं। आज हम सब यहां इकट्ठे हुए हैं तो क्यों इकट्ठा हुए हैं इसलिए हुए हैं कि हम सबको लगता है कि आज प्रजातंत्र खतरे में है।




यशवंत सिन्हा ने पिछले चार सालों में मोदी सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना की है। उन्होंने जीएसटी और नोटबंदी जैसे फैसलों का विरोध भी किया। उन्होंने कश्मीर मुद्दे को लेकर सरकार की नीतियों को भी कठघरे में खड़ा किया। इंटरव्यू में सिन्हा ने दावा किया था कि उन्होंने नरेंद्र मोदी से मुलाकात का वक्त मांगा था, पर नहीं मिला। पीएम के इस बर्ताव से वे बेहद आहत हुए। एक आर्टिकल में उन्होंने कहा था,कि इकोनॉमी की हालत खराब है।

GST को गलत तरीके से लागू किया गया : Yashwant

पिछले दो दशक में प्राइवेट क्षेत्र में इन्वेस्टमेंट सबसे कम रहा है। जीएसटी को गलत तरीके से लागू किया गया। इससे लाखों लोग बेरोजगार हो गए। इकोनॉमी में पहले से ही गिरावट आ रही थी, नोटबंदी ने तो सिर्फ आग में घी का काम किया। इस साल 30 जनवरी को यशवंत सिन्हा ने राष्ट्र मंच की शुरुआत की थी। इसमें वे लोग शामिल हैं, जो देश के मौजूदा हालात को खराब मानते हैं और उससे खुश नहीं हैं।




इसे 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के खिलाफ माहौल तैयार करने के लिहाज से भी देखा जा रहा है। एक वक्त था जब यशवंत सिन्हा की गिनती बीजेपी के बड़े नेताओं में होती थी। 2014 में बीजेपी की कमान नरेंद्र मोदी और अमित शाह के हाथ में आने के बाद सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा जैसे नेता धीरे-धीरे हाशिए पर चले गए। ऐसा भी कहा जाता है कि यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज थे।

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